shabdkar.blogspot.com
शब्दकार: August 2010
http://shabdkar.blogspot.com/2010_08_01_archive.html
30 अगस्त 2010. Mainभूत बोल रहा हूँ! मैं भूत बोल रहा हूँ! इक पागलपन चाहिये कि चैन से जी सकूं…. सब कुछ देखते हुए इस तरह जीया ही नहीं जाता…।. मैं गुमशुदा-सा हुआ जा रहा हूं,. अपनी बहुतेरी गहरी बेचैनियों के बीच…. अच्छा होने की ख्वाहिश चैन से जीने नहीं देती…. और बुरा मुझसे हुआ नहीं जा सकता…. तमाम बुरी चीज़ों के बीच फ़िर कैसे जिया सकता है? और सब कुछ को अपनी ही हैरान आंखों से…. देखते हुए भी अनदेखा कैसे किया सकता है…? घटिया व्यवहार,घटिया वस्तुएं,. और भी इसी तरह की कई तरह की…. सच में भी पाग...मैं प...हा&...
shabdkar.blogspot.com
शब्दकार: May 2011
http://shabdkar.blogspot.com/2011_05_01_archive.html
मीटिंग -लघु कथा. रजत आई कॉंट वेट एनी मोर! आराम से लेटे रहो .आज सब मीटिंग कैंसिल कर दो .समझे! खुद देखो! प्रस्तुतकर्ता. शिखा कौशिक. 9 टिप्पणियां:. लेबल: लघुकथा. शिखा कौशिक. तुम सिर्फ़ एक अहसास हो ! तुम सिर्फ़ एक अहसास हो . अगर तुम्हें पाना इक ख्वाब है! तुम्हारी चूडियों की खनक ,. अगर मेरी जंजीरें हैं.,. तो भी उन्हें तोड़ना फिजूल है! अहसास का तो कोई अंत नहीं होता ,. अगरचे ख्वाहिशों का ,. कोई ओर-छोर नहीं होता! मौसम के बगैर बारिश का होना ,. और जंगल का हर दरख्त भी तुम हो . तुम जो भी हो . क्यों...धिक...
shabdkar.blogspot.com
शब्दकार: July 2011
http://shabdkar.blogspot.com/2011_07_01_archive.html
01 जुलाई 2011. शब्दकार ब्लॉग बंद कर दिया गया है - - जानकारी. एक बात अपने इंटरनेट के सभी साथियों से कि आज. जायेगा।. बिताने. आभार सहित, धन्यवाद सहित, भरे मन से आपका. शब्दकार संचालक. डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर. प्रस्तुतकर्ता. शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगर. 1 टिप्पणी:. लेबल: जानकारी. डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). शब्दकार द्वारा चलाये जा रहे. जानकारी सम्बन्धी ब्लॉग शब्दकारिता. के लिए यहाँ क्लिक करें. ब्लॉग आर्काइव. आपकी पसंद. जया पाठक. हिन...
shabdkar.blogspot.com
शब्दकार: May 2010
http://shabdkar.blogspot.com/2010_05_01_archive.html
ओबाबा कृष्ण! संभाल लेना यार मुझको.हम सबको! ओबाबा कृष्ण! संभाल लेना यार मुझको.हम सबको! संभालेगा ना ओ मेरे यार? प्रस्तुतकर्ता. राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ). कोई टिप्पणी नहीं:. सुरेन्द्र अग्निहोत्री की कविता - वे ललितपुर को नहीं जानते हैं. नदियों. तालाबों. वालों. आत्महत्या. वालों. झुनारे. लोचनाचार्य. सुदामा. बाहों. गलियों. सुम्मेरा. जिन्होंने. मृत्यु. जिन्होने. वंशीपान. उन्होंने. चन्द्रकार. रसगुल्ले. जिन्होंने. क्यों. जिन्होने. लिखलें. सुरेन्द्र. अग्निहोत्री. 120/132 बेलदारी लेन,. लालबाग, लखनऊ. आने दो...
shabdkar.blogspot.com
शब्दकार: February 2010
http://shabdkar.blogspot.com/2010_02_01_archive.html
28 फ़रवरी 2010. हितेश कुमार शर्मा की कविता - होली का त्यौहार सलोना. मौसम मादक हुआ हवा महकी महकी है,. दूर आम की डाली पर कोयल चहकी है।. होली का आगमन हुआ है मन आँगन में,. अंग उमंग तरंग साँस बहकी बहकी है।. नभ में इन्द्रधनुष की सतरंगी चूनर है,. धरती के माथे पर फूलों की झूमर है।. गली मोहल्ले में रंगों की बरसात हो रही,. रंगों से बच इधर उधर जाना दूभर है।. गीत गा रही हैं सुहागिनें बौराई सी,. कहीं-कहीं हैं आँख मिचौली शरमाई सी।. उजली-उजली धूप है अलसाई सी।. हितेश कुमार शर्मा. लेबल: कविता. 25 फ़रवरी 2010. बाब&#...
shabdkar.blogspot.com
शब्दकार: April 2011
http://shabdkar.blogspot.com/2011_04_01_archive.html
24 अप्रैल 2011. सत्य साईं बाबा - अध्यात्मिक जगत के एक स्तम्भ. 2404; उन्हें. शिर्डी. 2404; उनका. विवादों. चमत्कारों. 2404; देश. भक्तों. संख्या. निराश्रित. 2404; राष्ट्रपति. प्रतिभा. राष्ट्रपति. बिहारी. बाजपेयी. करूणानिधि. रेड्डी. तेंदुलकर. हस्तियाँ. कृपापात्र. आध्यात्मिक. लोकप्रिय. चमत्कारों. क्यों. स्वीकार्यता. 2404; शिर्डी. भक्तों. तीर्थस्थल. 2404; शिर्डी. भक्तों. श्रद्धा. भक्तों. श्ग्र्दी. धार्मिक. आध्यात्मिक. दृष्टि. महत्वपूर्ण. महत्वपूर्ण. द्वारा. स्वास्थ्य. शिक्षा. दृष्टि. संचालित. 2404; उनका. क...
shabdkar.blogspot.com
शब्दकार: February 2011
http://shabdkar.blogspot.com/2011_02_01_archive.html
26 फ़रवरी 2011. देवी नागरानी की २ ग़ज़ल. ग़ज़ल - १. बेताबियों को हद से ज़िआदा बढ़ा गया. पिछ्ला पहर था रात को कोई जगा गया. मेरे ख़याल-ओ-ख़्वाब में ये कौन आ गया. दीपक मुहब्बतों के हज़ारों जला गया. कुछ इस तरह से आया अचानक वो सामने. मुझको झलक जमाल की अपने दिखा गया. इक आसमां में और भी हैं आसमां कई. मुझको हक़ीक़तों से वो वाकिफ़ करा गया. पलकें उठी तो उट्ठी ही देवी रहीं मेरी. झोंका हवा का पर्दा क्या उसका उठा गया. ग़ज़ल - २. तन के मकान में भले ही रह रहे हैं हम. देवी नागरानी. 23 फ़रवरी 2011. वो सदा पहच...एक पल भ&#...
shabdkar.blogspot.com
शब्दकार: January 2011
http://shabdkar.blogspot.com/2011_01_01_archive.html
31 जनवरी 2011. ऐसा मेरा विश्वास है! आशा की एक किरण. अँधेरे को चीरकर ,. आशा की एक बूँद. सूखी धरती को भिगोने ,. मेरी एक चीख. सन्नाटे को फाड़कर ,. आयेगी- आयेगी-आयेगी ,ऐसा मेरा विश्वास है ।. हर निर्दोष को. न्याय मिल सकेगा ;. हर कातिल को. दुष्कर्म का फल मिलेगा ,. हर मासूम. सुख की नींद सो सकेगा ,. ऐसा होगा -ऐसा होगा -ऐसा होगा ,ऐसा मेरा विश्वास है . प्रस्तुतकर्ता. शिखा कौशिक. 4 टिप्पणियां:. 30 जनवरी 2011. राष्ट्रभाषा हिन्दी के विविध आयाम. डॉ. धनंजय सिंह. मूल्य: रू. 250.00. पृष्ठ : 12 128=140. 29 जनवरी 2011.
shabdkar.blogspot.com
शब्दकार: April 2010
http://shabdkar.blogspot.com/2010_04_01_archive.html
29 अप्रैल 2010. दिव्या गुप्ता जैन की कविता - "बेटियाँ". दिव्या. गुप्ता. कविता . स्क्रेप. द्वारा. प्राप्त. बेटियाँ. क्यों. प्रतिकूल. बेटियाँ. क्यों. पीढ़ी. पीढ़ी. सिखाया. बेटियों. सिर्फ़. अभावों. सौभाग्य. क्यों. सिखाया. किनारों. उन्मुक्त. चित्र गूगल छवियों से साभार. प्रस्तुतकर्ता. शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगर. 2 टिप्पणियां:. लेबल: कविता. 28 अप्रैल 2010. लिखने वालों, सावधान! आगे खड्डा[गढ्ढा] है! लिखने वालों, सावधान! आगे खड्डा[गढ्ढा] है! ब्लागर एक :नाईस. ब्लागर नौ :. ब्लागर दस :. ब्लागर प...ब्ल...