rajasthaniraj.blogspot.com
ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: January 2012
http://rajasthaniraj.blogspot.com/2012_01_01_archive.html
थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. समदर सुकड़’ तळाव हुया. एक ग़ज़ल आप री निजर है सा. जैड़ा. बैठ्या. काळजियै. राजिंद. पंसेरी. राजेन्द्र स्वर्णकार. शब्दार्थ मेरे हिंदी-भाषा-भाषी मित्रों के लिए. ऐ - ये. आछा - अच्छे. बदळाव - बदलाव/परिवर्तन. हुया - हुए. बिहूण - भाव-विहीन. सुभाव - स्वभाव. बदळां - बदलें. पौन - पानी-हवा. कठै - कहां. जैड़ा - जैसे. किणरौ - किसका. के - क्या. गुमरेज - गर्व / घमंड. 8217; - सिकुड़ कर. इण मिस - इस बहाने. केई - कई / अनेक. मोकळी मंगळकामनावां! 8 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. राजस...
rajasthaniraj.blogspot.com
ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: July 2015
http://rajasthaniraj.blogspot.com/2015_07_01_archive.html
थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. राजस्थानी भाषा राजस्थान मांय पूजीजैला. राजस्थान में दूजै प्रदेशां सूं आ आ'र बस जावण वाळा लोग. आज राजस्थानी भाषा री मान्यता री संभावना देख'र नाक-भौं सिकोड़ण लाग रैया है ।. उणां नैं ललकारतां फिटकारतां थकां सुरसत चलवाई कवि री कलम. राजस्थानी भाषा राजस्थान मांय. आज सुणी. चींट्यां मकड़ां रै नैना पंख निकळ आया ।. बै म्हांरी मा भाषा रै अपमान मं मुंहडो मिचकाया ।।. पकड़' आंगळी पुणचो पकड़ै , गळै गिंद पड़ता जावै ।।. सूगलवाड़ करण री मत सोचो धींगड़ धाप...घिरत-चूरमो टांग...म्हांस...आज मानत&#...
rajasthaniraj.blogspot.com
ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: December 2011
http://rajasthaniraj.blogspot.com/2011_12_01_archive.html
थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. एकेला उठावो थे जवानी रौ औ भार क्यूं : कवित्त. रामराम सा! इण कड़कड़ा'ती ठंड-सर्दी रै मौसम में. गरमागरम दाळ रौ सीरो अर बड़ा-पकौड़ा अरोगता थका. औ मनहरण कवित्त बांचसो तो ठंड कीं तो कम लखासी. एकेला उठावो थे जवानी रौ औ भार क्यूं. काजळिया-राता-लीला नैण लागै आछा गोरी. बणावो इंयां नैं घड़ी-घड़ी तलवार क्यूं. चावै बां. रै खून सूं मंडावो मांडणा. नैण-बाण मार'. नित तीज क्यूं तिंवार क्यूं. प्रीत रा पुजारियां रै. दरस-भिखारियां रै. आपे ई संभाळ लेसी. 12 टिप्पणियाँ. नई पोस्ट. राजस्थ&#...राज...
rajasthaniraj.blogspot.com
ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: July 2013
http://rajasthaniraj.blogspot.com/2013_07_01_archive.html
थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. अणहद-नाद सुणीजै घट. श्री गुरुवे नमः. जयरामजी री सा! गुरुपूनम री आप सबनैं मंगळकामनावां! सगळां पर गुरुजनां री आशीष बणी रैवै. आओ , इण मौकै म्हारी आ रचना बांचो अर सुणो. श्री गुरुवे नमः. जद उमगै उर ज्ञान-पिपासा! बिन दीवटियां होय उजासा! निज कळमष हाथां प्रक्षाळ्यां. घट झड़ बरसै बिन चौमासा! नाश वासना होवै सगळी. फीसै पाणी मांय पताशा! ब्रह्म-जीव. 8230; विभंजै खेल-तमाशा! भेद मिटै अद्वैत-द्वैत रौ. सुलटा ही सुलटा सै पासा! थित-प्रगळभ नैं मिळै. निराशा. अठै सुणो. रामराम सा. नई पोस्ट. म्ह...
rajasthaniraj.blogspot.com
ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: November 2013
http://rajasthaniraj.blogspot.com/2013_11_01_archive.html
थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. थां'रौ तन मदिरालय लिखसूं मन नैं तीरथधाम. लिखूंला. पैलां. नाम लिखूंला. लिखूंला. म्हारै. मन री सैंग विगत म्हैं. काळजियै. नैं थाम. लिखूंला. ओळ्यूं. मोत्यां. मूंगै. दाम लिखूंला. तन मदिरालय लिखसूं. नैं तीरथधाम लिखूंला. दो ओळ्यां मांडूंला. ज़रूरी काम लिखूंला. लिखसूं. भोळी राधा. नैं छळियो श्याम लिखूंला. स्रिष्टी में लाधै राजिंद. इस्यी सरनाम लिखूंला. राजेन्द्र. स्वर्णकार. भावार्थ. पहले आपका नाम लिखूंगा. आपरी टिप्पण्. यां सूं ठाह पड़सी. जै रामजी री सा. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. ओळ्य&...
rajasthaniraj.blogspot.com
ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: October 2011
http://rajasthaniraj.blogspot.com/2011_10_01_archive.html
थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. बणजे मत तूं दुनिया ज्यूं आंधो स्वारथ में , सुण दीवा! लिछमी नित किरपा करै , गणपति दै वरदान! सुरसत री आशीष सूं बधै सवायो मान! एक गीतड़लो हाजर. है सा. दीवटिया! नैनी था’री बांवड़ल्यां अर नैनी-सी औकात रे! लारै था’रै आंधड़-मेहलो , आगै झंझावात रे! दीवटिया! मत डरजे ; लड़जे , बळजे काळी रात रे! रंग थनैं! तूं ल्या मुट्ठी में सोनळिया परभात रे! उलटी बैवै पून रे दीवा! दिश-दिश खावण नैं आवै! दीवटिया! मत डरजे : लड़जे , बळजे काळी रात रे! दीवटिया! रंग थनैं! रंग थनैं! नन्ही नन्ही...तू इस क&#...
rajasthaniraj.blogspot.com
ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: November 2012
http://rajasthaniraj.blogspot.com/2012_11_01_archive.html
थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. दीयाळी रा दिवटियां! थां’री के औकात? रामराम सा! धनतेरस ,. रूपचौदस ,. दीयाळी ,. गोरधन पूजन ,. री मोकळी. शुभकामनावां! मंगळकामनावां! लिछमी नित आशीष दै. गणपति दै वरदान! सुरसत-किरपा. आपरौ मान! दीयाळी हरख रौ उच्छब अर आणंद रौ तिंवार है. पण संसार में सगळा जणा बडै भाग वाळा कोनीं हुवै. ऐ दूहा निरधन अर कमजो. री दीठ सूं कह्योड़ा है. मूंघाई छाती चढी , ऊपर काळ-कराळ! साम्हीं दीयाळी खड़ी ; सांवरियो रिछपाळ! उछब दियाळी रौ बठै कैड़ो लिछमीनाथ? 8230;आवै सालूं-साल! दीयाळी! दीयाळी! धुख-धुख...मेट...
rajasthaniraj.blogspot.com
ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: December 2012
http://rajasthaniraj.blogspot.com/2012_12_01_archive.html
थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. बा मंज़ल हेलो पाड़ै. ल्यो सा एक ग़ज़ल. म्हारी पोथी रूई मांयीं सूई. मांय सूं. यूं कांईं जी हारो हो. क्यूं मनड़ै नैं मारो हो. क्यूं बैर्. रा काळजि. मुंह लटकायां ठारो हो. देखो मुळकै चांदड़लो. किण नैं आप निहारो हो. बा मंज़ल हेलो पाड़ै. किण दिश आप सिधारो हो. समदर मरुथळ स्सै लांघ्या. थे इब कांईं धारो हो. राजेन्द्र स्वर्णकार. भावार्थ. मेरे हिंदीभाषी मित्रों के लिए ). ऐसे क्या जी (हिम्मत ) हार रहे हो? क्यों मन को मार रहे हो? मुंह पर उदासी ला’कर. मिलसां भळै. नई पोस्ट. मन गुरु...
rajasthaniraj.blogspot.com
ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: December 2013
http://rajasthaniraj.blogspot.com/2013_12_01_archive.html
थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. प्रीत में म्हारी जीत सांवरा. सांवरा. थैंस्यूं म्हारी प्रीत सांवरा. तूं म्हारौ मनमीत सांवरा. मुळकतो मीठो. मुरली रौ संगीत. सांवरा. संसार्. यां रै सींव सांस री. उमर रयी है बीत सांवरा. प्रीत लेय. पाछी नीं दे. किस्यी नुंवी आ रीत सांवरा. म्हारै मनां बिचाळै. है न हुवैली भींत सांवरा. निभावै हर जुग में तूं. नीत सांवरा. सूर मीरां री. प्रीत में म्हारी जीत सांवरा. राजेन्द्र स्वर्णकार. 8217; र आपनैं आछो लाग्यो हुवैला. अंगरेज़ी नुंवै साल २०१४. 2 टिप्पणियाँ. नई पोस्ट. 3 दिन पहले. कहान...
rajasthaniraj.blogspot.com
ओळ्यूं मरुधर देश री… Remembrance to Rajasthan: February 2013
http://rajasthaniraj.blogspot.com/2013_02_01_archive.html
थांरौ साथो घणो सुहावै सा…. इमरत वाणी बोल! राजस्थानी बोल! विश्व मातृ भाषा दिवस. रै अवसर पर एक गीत. राजस्थानी बोल! अंजस वाणी बोल! कीरत वाणी बोल! इमरत वाणी बोल! राजस्थानी बोल! करणी माता रामदेवजी तेजोजी गोगोजी. धन धन पाबूजी जसनाथजी पीपाजी जाम्भोजी. बोलग्या बै खांतीला बोल. थरपग्या लाखीणा निज मोल. भोळा, सत री वाणी बोल! राजस्थानी बोल! मीरां बोली आ बोली अर अमर हुयां हरखावै. उण रै वचनां री गंगा ओजूं लग रस छळकावै. तूं भी हिरदै नैं खंखोळ. खोलदै खीला जड़ी पिरोळ. राजस्थानी बोल! उमगिया अथ आखर अणमोल. सुणो स...इसे...