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कहानी-कलश: शिखर-पुरुष : ज्ञानप्रकाश विवेक की चर्चित कहानी
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मुखपृष्ठ. बाल-उद्यान. सांस्कृतिक-ख़बरें. चित्रावली. पुस्तकें. Monday, May 18, 2009. शिखर-पुरुष : ज्ञानप्रकाश विवेक की चर्चित कहानी. इस बार हम चर्चित कहानीकार ज्ञानप्रकाश विवेक. शिखर-पुरुष. मैंने एक बार फिर कहा "हम किसी जल्दी में नहीं है- न आप, न मैं। आप चेयर लीजिए, बैठिए और अपना नाम एक बार फिर .". तुम्हारे जैसा एक अदद कॉर्टून! यादों के खँडहर में भटकना भी कौन चाहता है! यादें होती भी क्या हैं! ठीक कह रही हूँ न बन्नी! शायद तुमने मेरी कुछ बातें गा&#...लेखक परिचय. नौ कहानी-संग्रह. प्रकाशित ज...धूप क...
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कहानी-कलश: June 2010
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मुखपृष्ठ. बाल-उद्यान. सांस्कृतिक-ख़बरें. चित्रावली. पुस्तकें. Monday, June 28, 2010. कम्पनी-राज ः गौरव सोलंकी. कम्पनी-राज. लेखक परिचय- गौरव सोलंकी. पढ़ी जा सकती हैं।. स्मोक(10:25) – हाय. स्मोक(10:25) – हाउ आर यू? स्मोक(10:27) – आर यू देयर? स्मोक(10:31) -? लिप्स(11:48) – आर यू अमित? स्मोक(11:49) – नो.आई एम उदय स्मोक(11:50) – एंड यू. स्मोक(11:52) -? स्मोक(12:07) – आई एम उदय लिप्स(12:08) – आई एम कनिका. क्लाउड(09:38) – हाय लिप्स! कॉफी पीने चलोगी? लिप्स(09:41) – हू आर यू? लिप्स(09:49) – ओह! लिप्स...लिप...
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कहानी-कलश: December 2009
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मुखपृष्ठ. बाल-उद्यान. सांस्कृतिक-ख़बरें. चित्रावली. पुस्तकें. Monday, December 21, 2009. औरांग उटांग- धीरेन्द्र अस्थाना. यह तो वह समय था न, जब आप दौड़ना छोड़ चुके होते हैं। तो फिर? यह तो घटना-विहीन, उत्सुकता से खाली और उबा देनेवाली शांत-सी जीवन-स्थितियों वाला समय था न। तो फिर? तो फिर? एक चीखता हुआ सा आश्चर्य मेरी चेतना पर ‘धप्प‘ से आ गिरा है।. सब जगह तो जा आया हूं।. मैं तो किसी की मदद के लिए आगे बढूं।. 8216;कहां जायेंगे भाई साहब? 8216;कौन मैं? कहीं नहीं जाना है? नमस्ते जी! 8216; प्रेम कहत...8216;य...
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कहानी-कलश: November 2009
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मुखपृष्ठ. बाल-उद्यान. सांस्कृतिक-ख़बरें. चित्रावली. पुस्तकें. Saturday, November 7, 2009. आकांक्षा पारे- तीन सहेलियां, तीन प्रेमी. लेखक परिचय. आकांक्षा पारे. और बता क्या हाल है? अपना तो कमरा है, हाल कहां है? ये मसखरी की आदत नहीं छोड़ सकती क्या? क्या करूं आदत है, बुढ़ापे में क्या छोड़ूं? साढ़े पांच बज गए मेघना नहीं आई? बुढ़ऊ झिला रहा होगा।'. वो तो फूट ही रही है, तुम जल क्यों रही हो? ले, मेघू आ गई।'. क्या है बे किस बात पर बहस कर रहे हो? फिर तू? वाऊ मेरे मन में क्या...आभा, हम यहां तु...अब तुम भी...अगर आप द&...
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कहानी-कलश: मिट्टी का प्रेमी- शेखर मल्लिक
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मुखपृष्ठ. बाल-उद्यान. सांस्कृतिक-ख़बरें. चित्रावली. पुस्तकें. Monday, July 5, 2010. मिट्टी का प्रेमी- शेखर मल्लिक. मिट्टी का प्रेमी. 8230;मंच के सामने के लोग हक्के-बक्के से उसे ताकने लगे. प्राची ने इसके चार महीनों बाद सपाट लहजे में आखिरी फैसला किया था, “आई डोंट लव यू, आई लव समवन एल्स. लेखक परिचय- शेखर मल्लिक. 8217; में इनकी एक कहानी पहले स्थान पर चयनित। एक कहानी ( कोख बनाम पेट. Shekhar.mallick.18@gmail.com. क्या प्रेम भी, और वो भी इतनी जल्दी! इसके बाद शिशिर वह नहीं रह&...कभी-कभी एक राय ...वो बí...
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कहानी-कलश: पापा की सज़ा- तेजेन्द्र शर्मा
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मुखपृष्ठ. बाल-उद्यान. सांस्कृतिक-ख़बरें. चित्रावली. पुस्तकें. Monday, May 4, 2009. पापा की सज़ा- तेजेन्द्र शर्मा. तेजेन्द्र शर्मा. लेकर उपस्थित हैं।. पापा की सज़ा. पापा ने ऐसा क्यों किया होगा? उनके मन में उस समय किस तरह के तूफ़ान उठ रहे होंगे? किन्तु सच यही था - मेरे पापा ने मेरी मां की हत्या, उसका गला दबा कर, अपने ही हाथों से की थी।. कभी कभी अपने आप से बातें करने लगती। यीशु से पूछ भी बैठती कि आख&#...पापा, इतनी भी क्या जल्दी है? देखो बेटी, मुझे नहीं पतì...पुलिस को भी तुम...हिम्मत जु...ममी. ...घर म...
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कहानी-कलश: उस धूसर सन्नाटे में- धीरेन्द्र अस्थाना
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मुखपृष्ठ. बाल-उद्यान. सांस्कृतिक-ख़बरें. चित्रावली. पुस्तकें. Monday, May 11, 2009. उस धूसर सन्नाटे में- धीरेन्द्र अस्थाना. हिन्दी कहानी का एक स्थापित नाम है। आज हम उन्हीं की एक कहानी 'उस धूसर सन्नाटे में'. आपकी नज़र कर रहे हैं।. उस धूसर सन्नाटे में. ऐसा कैसे संभव है? क्या हुआ? 8216;लेकिन हुआ क्या? 8216;मुझे भी नहीं बताएंगे? 8216;वो साला हनीफ बोलता है कि सुदर्शन सक्सेना मर गया तो क्या हुआ? रोज कोई न कोई मरता है। सुदर्शन ‘कोई‘ था? ब्रजेद्र बहादुर सिंह अभी तक...8216;क्या? 8216; मैं लगभग चि...तभी...
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कहानी-कलश: July 2010
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मुखपृष्ठ. बाल-उद्यान. सांस्कृतिक-ख़बरें. चित्रावली. पुस्तकें. Tuesday, July 13, 2010. बलवा हुजूम ः मिथिलेश प्रियदर्शी. दोस्तो,. बलवा हुजूम. 8217;’बहुत पहले पैदा हुआ बाहर देश का एक लेखक। उसकी किताबें तुम्हें पढ़ाऊँगा, जब हम यहाँ से बाहर होंगे।‘‘. आगे के कई दिनों तक अनायास मेरे हाथ तिनके से ‘‘काफ्का‘‘ लिखते रहे थे।. नानूसान डॉक्टर हैं, जैसे बडे़ अस्पतालों में हुआ करते हैं। ल&...लेखक परिचय- मिथिलेश प्रियदर्शी. जन्म- चतरा, झारखंड. संप्रति-. अखबारों के लिए लेखन. नानूसान के बार&#...इस घेरे मे...असल म...
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कहानी-कलश: August 2011
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मुखपृष्ठ. बाल-उद्यान. सांस्कृतिक-ख़बरें. चित्रावली. पुस्तकें. Tuesday, August 9, 2011. कार में बच्चे बात कर रहे थे- "बुआ, इंडिया गेट के पास ही तो राष्ट्रपति भवन है ना? मैंने कहा, "हाँ" चलते-चलते मैंने कार राष्ट्रपति भवन की और मोड़ ली।. मैं बच्चों को आस-पास नजर आ रही सभी इमारतों के विषय के बारे में बता रही थी।. तभी मेरा भतीजा, संसद भवन की आेर ईशारा कर के बोला, "बुआ वो क्या है? बेटा, वो संसद भवन है।". संसद भवन क्या होता है? सनी बोला।. सीमा ‘स्मृति’. 49 टिप्पणीं. Subscribe to: Posts (Atom). यदि...