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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Apr 12, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). मोहब्बत' न रही अब. न रही अब. ख़त्म हो गयी,. इक लाश बन गयी. अब उसके साथ है. और शायरी की. दिल में बाकी थी. जो अर्जियां. सब इन्जार में है. अब दफन होने के. कल तक जो जिंदगी थी. अब अब वो मोहब्बत. पड़ी है अकेले लाश बनकर. लाश से 'अल्फाजो का चद्दर'. इस कदर चिपटा है. मानो इन्ही की मोहब्बत थी. मै, तू और हम तो बस. परवाने थे,. बस मोहब्बत की खिदमत के लिए. लायक नहीं थे मोहब्बत के. Links to this post. नई पोस्ट. अभिन&...
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Mar 19, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). न जाने क्यों इतनी उदास है 'वो'. न जाने क्यों इतनी उदास है. उसे नहीं पता क्या कितनी खास है. उसे तो सिर्फ मोहब्बत है मुझसे. उसे न जाने क्या क्या तलाश है तुझसे. न जाने क्यों इतनी उदास है. ये खेल मोहब्बत का बस. के एहसास में है. ये न तेरे. की साँस में है. और न ही उसकी प्यास में है. न जाने क्यों इतनी उदास है. उसे नहीं पता क्या कितनी खास है. आसमान के एक. चांद की. खाली मन और निडर वदन लिए. Links to this post.
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': A Shost Biography of Chacha ji..By ankur mishra''yugal''
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). A Shost Biography of Chacha ji.By ankur mishra' yugal'. PtJawaharlal Nehru Personal Details Biography Children’s Day Jawaharlal Nehru was the first and also long serving prime minister of India[From 1947 to 1964].He is also referred as Pandit Nehru ("pandit" means "scholar","teacher" in Sanskrit). Jawaharlal Nehru's Personal Profile. Name : Jawaharlal Nehru. Sisters : Vijaya Lakshmi and Krishna. अखं...
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Mar 21, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). न जाने क्यों इतना याद आते है. सुबह की वो छोटी छोटी बातें. छुट्टियों की फिर फिर मुलाकातें. सूरज की रौशनी में जवां इश्क. जिंदगी के बड़े बड़े ख्वाब. और तेरे और मेरे वो अल्फाज. न जाने क्यों इतना याद आते है. कहीं दूर-दूर घूमने के नमकीन इरादे. कसमो में वो कच्चे कच्चे वादे. तेरी यादो में बिखरे बिखरे दिन. तारीखों के साथ जवां होती उम्मीदे. और रातो के यकीनी सपने. कोई कहो जरा ठहरो तो. तुम अब भी,. Links to this post.
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Feb 26, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). सब कहा खो गए? सब कहा खो गए? कल की ही बात है. यहाँ एक खेत था. एक खलियान,. कच्चा घर और कुआँ था. गोरैया का एक घोसला था. नीम के उस पेड़ में. आज न जाने. सब कहा खो गए? सुबह - सुबह ही देखा. बहु मंजिल मकान था. हजारो इमारतो के झुंड में,. दिन में 'दिन' तो दिखा. मगर रोशनी में अपना नहीं था कोई. आसमान पर परिंदा न था. शाम को जब घर गया. ख़ामोशी से डरा खामोश घर. इंतजार में था. खिड़की खोली तो. छत नदारद थी. न जाने. सत्य...
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Feb 12, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). लोकतंत्र. 8220;लोकतंत्र”. जब जब सोया,. क्या गजब सोया,. नेता को सुलाया,. जनता को रुलाया. लफ्जो के खेल में सबको खिलाया. कभी जुमलो से. तो कभी हमलो से. कभी ख़ामोशी से. तो कभी बेलगाम शोर से. जनता में उम्मीदों को हर रोज खूब जगाया. बिगडती है बनती है. बनती है फिर बिगडती है. और फिर बिगड़कर बनती है. अजीब लोकतात्रिक सरकार है. जो हर रोज जनता के साथ. एक नया खेल खेलती है . खुद के खातिर. एक रास्ता,. ऐसी एक रात,. PtJawahar...
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Mar 4, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). क्या लिखू तुझ पर,. क्या तस्वीर बनाऊ,. न लफ्ज है और न ही रंग. तेरी खूबसूरती के बयान के लिए. बचपन में कभी पेन्सिल से. काला गोला बनाकर. पीला रंग भरा था उसमे. जो 'आम' तो कभी 'सूरज'. बन गया था 'युगल'. तब तक यही था रंगों का मायना. मेरे इस संसार का. फिर बाजार में बिकते दिखे. कागजो में लपेटकर कुछ रंग. गुलाबी, लाल, पीला, हरा. और सुनहरी. सब रंग. एक साथ, एक दुकान में ऐसे थे. और 'माँ'. Links to this post. अखंड ...
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Apr 23, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). नई किताब. नई किताब. मतलब एक नई दुनिया. एक नया चेहरे,. एक नया शहर,. नये नये विचार. सब कुछ नया, एक-दम नया. एक नई किताब के साथ आता था. बाबा के साथ पढने को. मगर बस कल तक. आज वक्त के साथ. सब गुजर गए. बाबा' भी और वो 'किताबे' भी. कल उस नई किताब के. पन्नो के 'बीच'. एक नया 'खिला' हुआ 'फूल' रखा था,. सब तल्लीन थे इकरार में,. प्यार में. तो कभी पन्ना फूल की खुसबू. मगर बस कल तक. Links to this post. नई किताब. अखंड...
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Apr 7, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). इंसान, दिल और बारिश. एक बारिश ने. कहा कुछ भी नहीं. ऐसी भी आदते होती हैं. मगर दिल ने. सबकुछ सुना. ऐसी भी आदते होती हैं. बारिश का वो शोर. जिसमे शहर के कुछ घर. शहम कर बैठ गए. बारिश की वो ठंडक. मानो जैसे समसफ़र के साथ. हम खुद बैठ गए. बारिश के उस पानी में. कुछ इंसान बेखौफ भीगातें रहे. तो कुछ बस अपने. मोबाईल और पैसे लपेटते रहे. इंसान, दिल और बारिश. सब मनचले है. अपना कारोबार. अजीब अदब है. Links to this post.
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''सत्य ,साहित्य और समाज '': Jul 16, 2015
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सत्य ,साहित्य और समाज '. सत्य और साहित्य' : 'अंकुर मिश्रा' की हिंदी रचानाएँ (कहानियाँ और कवितायेँ ). दाग साथ लिये मगर फिर भी बेदाग,. कभी टूटी छतो से टपकता,. कभी बादलो में लुका छुपी खेलता,. कभी सर्दियों में सिकुड़ता,. कभी रास्तो में साथ चलता।. हमेशा बचपन से किश्तों में मिला,. कभी रोटी में मिला,. तो कभी रिश्तो (मामा) में मिला,. मोहब्बत के अल्फाजो में मिला,. शहीदो के जनाजो में मिला।. अब इश्क की इबादत है. गुमसुम, खोयी रात में. बेसब्री के इन्तजार में. मगर अब चाँद डरा है. Links to this post. नई पोस्ट. सत्...
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