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Snehanchal: September 2008
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Monday, September 29, 2008. एक अमूल्य उपहार. पुत्रवधू प्रिया के हाथ में एक गिफ्ट पैक था। उसने पैक को खोला और फ्रेम में जड़ी एक तस्वीर मेरे हाथ में थमा दी।. Links to this post. Saturday, September 20, 2008. हर तरफ़ लगता चमन जलता हुआ (ग़ज़ल). हर तरफ़ लगता चमन जलता हुआ,. आदमी को आदमी छलता हुआ।. हो गया हर लक्ष्य बौना इस तरह,. बर्फ जैसे धूप में गलता हुआ।. हो न पाया जो कभी साकार वो,. ख्वाब आंखों में रहा पलता हुआ।. घोषणाओं पर अमल होता नहीं,. देखिए हर फ़ैसला टलता हुआ।. Links to this post. Friday, September 12, 2008.
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Snehanchal: September 2009
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Thursday, September 17, 2009. आए याद पुराने लोग (ग़ज़ल). यों ही राहों में मिल जाते कुछ जाने-अनजाने लोग;. अक्सर याद दिला देते हैं कुछ भीगे अफ़साने लोग।. पल भर में अपना सा लगने लगता कोई शख्स कभी,. जिनको हरदम अपना माना वो निकले बेगाने लोग. अच्छों को भी बुरा बताना कुछ लोगों की फितरत है. मगर न हमने सुनी किसीकी आए जब बहकाने लोग।. अपना बन कर गले लगाते, दिल दीवाना कर देते. लेकिन हौले-हौले लगते अपना रंग दिखाने लोग।. उम्र गँवा दी कुछ तो सीखो. लगे हमें समझाने लोग।. हेमन्त 'स्नेही'. Links to this post. आए याद प&...
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Snehanchal: June 2012
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Saturday, June 9, 2012. ठलुए खावें खीर. जिनकी आँखों में नहीं लाज-शरम का नीर,. वे ही बैठे लिख रहे भारत की तक़दीर. हर दिन भ्रष्टाचार का बढ़ता जाता जाल,. क्या होगा इस देश का उठता बड़ा सवाल. भाषण पर भाषण करैं नहीं जिन्हें कुछ ज्ञात,. कारटून पर कर रहे कारटून ही बात. खुद को ज्ञानी मान कर पीटैं सबकी भद्द,. कारटून को कर दिया कारटून ने रद्द. कलियुग की महिमा कहैं या फिर बस तकदीर,. मेहनतकश भूखे फिरैं. ठलुए खावें. हेमंत 'स्नेही'. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). आपका साथ. कारवाँ.
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी: March 2008
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी. ख्वाहिशों के पीछे भागते-भागते बीच में वक्त निकाल ही लिया और ज़ाहिर करनी शुरू की अपनी ख्वाहिशें. लम्हों की दौड़. लेखा-जोखा. ठूंठ की छाया. दिल-दिमाग की जंग. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. दोस्तों के ब्लॉग. अनजाने रास्ते. क़िस्सागोई. कुछ किस्से कहने हैं. बात-बेबात. बुरांस. बात-करामात. आते-जाते लोग. शुक्रवार, 14 मार्च 2008. पर दीवारें दृढ़ थी और रेत थी सूखी. और चाहते हैं.रेत को निचोड़कर पानी. प्रस्तुतकर्ता. 10 टिप्पणियां:. बुधवार, 12 मार्च 2008. नई पोस्ट.
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी: August 2008
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी. ख्वाहिशों के पीछे भागते-भागते बीच में वक्त निकाल ही लिया और ज़ाहिर करनी शुरू की अपनी ख्वाहिशें. लम्हों की दौड़. लेखा-जोखा. क्यों होते हैं दूर अपनी जमीन से. कितने दोगले हैं हम. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. दोस्तों के ब्लॉग. अनजाने रास्ते. क़िस्सागोई. कुछ किस्से कहने हैं. बात-बेबात. बुरांस. बात-करामात. आते-जाते लोग. रविवार, 24 अगस्त 2008. क्यों होते हैं दूर अपनी जमीन से. प्रस्तुतकर्ता. 5 टिप्पणियां:. शुक्रवार, 15 अगस्त 2008. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट.
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी: May 2008
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी. ख्वाहिशों के पीछे भागते-भागते बीच में वक्त निकाल ही लिया और ज़ाहिर करनी शुरू की अपनी ख्वाहिशें. लम्हों की दौड़. लेखा-जोखा. काश मिल जाता नदी का किनारा. मौत पर कमाई. बड़ा कन्फ्यूजन है. यही है जीवन. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. दोस्तों के ब्लॉग. अनजाने रास्ते. क़िस्सागोई. कुछ किस्से कहने हैं. बात-बेबात. बुरांस. बात-करामात. आते-जाते लोग. शनिवार, 24 मई 2008. काश मिल जाता नदी का किनारा. प्रस्तुतकर्ता. 3 टिप्पणियां:. रविवार, 18 मई 2008. मौत पर कमाई. नई पोस्ट.
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी: August 2007
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी. ख्वाहिशों के पीछे भागते-भागते बीच में वक्त निकाल ही लिया और ज़ाहिर करनी शुरू की अपनी ख्वाहिशें. लम्हों की दौड़. लेखा-जोखा. वो क्या था? हाथ मिलाने और गले लगाने की सज़ा. हत्यारा कौन? जिम्मेदार कौन? भागो संतराम आया. हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. दोस्तों के ब्लॉग. अनजाने रास्ते. क़िस्सागोई. कुछ किस्से कहने हैं. बात-बेबात. बुरांस. बात-करामात. आते-जाते लोग. मंगलवार, 28 अगस्त 2007. वो क्या था? प्रस्तुतकर्ता. रविवार, 26 अगस्त 2007. नई पोस्ट.
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी: क्यों होते हैं दूर अपनी जमीन से
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी. ख्वाहिशों के पीछे भागते-भागते बीच में वक्त निकाल ही लिया और ज़ाहिर करनी शुरू की अपनी ख्वाहिशें. लम्हों की दौड़. लेखा-जोखा. क्यों होते हैं दूर अपनी जमीन से. कितने दोगले हैं हम. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. दोस्तों के ब्लॉग. अनजाने रास्ते. क़िस्सागोई. कुछ किस्से कहने हैं. बात-बेबात. बुरांस. बात-करामात. आते-जाते लोग. रविवार, 24 अगस्त 2008. क्यों होते हैं दूर अपनी जमीन से. प्रस्तुतकर्ता. 5 टिप्पणियां:. ने कहा…. 24 अगस्त 2008 को 6:15 am. ने कहा…. सागर नाहर.
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी: एक तूफान
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी. ख्वाहिशों के पीछे भागते-भागते बीच में वक्त निकाल ही लिया और ज़ाहिर करनी शुरू की अपनी ख्वाहिशें. लम्हों की दौड़. लेखा-जोखा. एक तूफान. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. दोस्तों के ब्लॉग. अनजाने रास्ते. क़िस्सागोई. कुछ किस्से कहने हैं. बात-बेबात. बुरांस. बात-करामात. आते-जाते लोग. रविवार, 20 अप्रैल 2008. एक तूफान. बाहर भी एक तूफान था. और एक तूफान था मेरे भीतर. बाहर के तूफान से तो सबने ओट कर ली. प्रस्तुतकर्ता. 2 टिप्पणियां:. ने कहा…. ने कहा…. नई पोस्ट.
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी: यही है जीवन...
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी. ख्वाहिशों के पीछे भागते-भागते बीच में वक्त निकाल ही लिया और ज़ाहिर करनी शुरू की अपनी ख्वाहिशें. लम्हों की दौड़. लेखा-जोखा. काश मिल जाता नदी का किनारा. मौत पर कमाई. बड़ा कन्फ्यूजन है. यही है जीवन. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. दोस्तों के ब्लॉग. अनजाने रास्ते. क़िस्सागोई. कुछ किस्से कहने हैं. बात-बेबात. बुरांस. बात-करामात. आते-जाते लोग. शनिवार, 3 मई 2008. यही है जीवन. जन्म लेते ही मां की गोद है जीवन,. बचपन में खेलकूद है जीवन,. कुछ न मिलने पर. ने कहा…. आदमी तí...